नई दिल्ली (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच ने एक अहम फैसले में साफ किया है कि ट्रायल कोर्ट या हाई कोर्ट में लंबित मुकदमों पर लगाई गई रोक 6 महीने के बाद खुद ब खुद नहीं हटाई जा सकती।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने 2018 में तीन जजों की बेंच के उस आदेश को पलट दिया, जिसमें कहा गया था कि मुकदमों पर लगाई गई अंतरिम रोक की अधिकतम अवधि 6 महीने ही मानी जाएगी, जब तक रोक को विशेष आदेश के जरिये ना बढ़ाया गया हो।
संविधान बेंच ने कहा है कि संवैधानिक कोर्ट को निचली अदालतों में लंबित मुकदमों के निपटारे के लिए समय सीमा निर्धारित नहीं करनी चाहिए। निचली अदालत के जज स्थानीय ज़मीनी हकीकत को कहीं ज़्यादा बेहतर समझते हैं। इसलिए बेहतर होगा कि ये उन पर छोड़ दिया जाए कि वो किस मुकदमे के निपटारे को प्राथमिकता दें। बेहद असाधारण परिस्थितियों में ही संवैधानिक कोर्ट को निचली अदालत में लंबित मुकदमों की समय सीमा तय करनी चाहिए।