चलो सखि बसंत आया
कोकिल कुहुकने लगी मधुवन भी सरसाया
भौरों का गुंजार गीत कुसुमों को मनभाया
पतझड़ परिवर्तन का नया एक संदेसा लाया
नव-किसलय की अंगड़ाई ने उत्साह जगाया
वैरागिन के मन में भी मदन मादकता ले आया
विरहीन के आँसुओं में बसंत की है मधुमाया
खग वृंद का कलरव से छाई मद की छाया
– डॉ अनिल कुमार उपाध्याय