नंदिता तनुजा
डोर से खींची
सांसो से बंधी
हां तुम मेरे हो
ज़िंदगी से मिली
लकीरों से जुडी
हाथों में छिपी
हां तुम मेरे हो
किस्मत ने लिखी
आईने ने कही
ख़ामोशी ने सुनी
हां तुम मेरे हो..
अहसास की लगी
आँखों में दिखी
ख्वाबों से मिली
हां तुम मेरे हो
मंज़िल में कहीं
सोच में रही
लम्हों को यकी
हां तुम मेरे हो
वक़्त पे रुकी
दिल की कमी
आँखों की नमी
हां तुम मेरे हो
बंदगी हो यही
ज़िंदगी छिपी
रूह में कही
हां तुम मेरे हो
नंदिता को यकीं