फूलत हैं पुष्प अब बागन में बार-बार,
कुदरत का रूप ये नया-नया आया है।
नाचत मयूर खूब मधुबन के बीच में,
कोयल की कूक ने गीत मधुर गाया है।
प्रीति का बसंत संग शीतल समीर लिए,
जीवन में रंग बिखेरन चला आया है।
है धीमा प्रकाश साथ सतरंगी छटा लिए,
धरती पे ज्ञान का संदेश लिए आया है।।
-राम सेवक वर्मा
विवेकानंद नगर, पुखरायां,
कानपुर देहात, उत्तरप्रदेश