भारत सरकार के सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) ने पहली तिमाही के अंत में 1,24,761 करोड़ रुपये का सकल व्यापारिक मूल्य दर्ज किया है, जो पिछले वर्ष के 52,670 करोड़ रुपये के जीएमवी की तुलना में तिमाही-दर-तिमाही 136 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। वर्ष 2016 में एक मजबूत घरेलू ई-खरीद सुविधा के निर्माण के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ शुरू की गई जीईएम ने पहले से खंडित प्रणाली को एक व्यापक वन-स्टॉप-समाधान में बदल दिया है। इसका सभी सरकारी खरीदारों द्वारा व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है और विक्रेताओं तथा सेवा प्रदाताओं के अखिल भारतीय नेटवर्क के जरिए सेवाएं प्रदान की जाती है।
वित्त वर्ष 24-25 की पहली तिमाही में सेवा क्षेत्र प्रमुख रहा है, जिसने 80,500 करोड़ रुपये से अधिक का जीएमवी दर्ज किया। यह वित्त वर्ष 23-24 की इसी अवधि की तुलना में 330 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। इस अवधि में सीपीएसई सहित केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा खरीद 1 लाख करोड़ रुपये के महत्वपूर्ण पड़ाव को पार कर गई। कोयला, रक्षा और पेट्रोलियम एवं गैस मंत्रालय इस तिमाही में शीर्ष खरीदार बनकर उभरे। इस 1 लाख करोड़ रुपये के जीएमवी में, सीपीएसई का हिस्सा 91,000 करोड़ रुपये से अधिक था।
जीईएम के सीईओ प्रशांत कुमार सिंह ने बताया कि वित्त वर्ष 23-24 की पहली तिमाही में केंद्र सरकार के निकायों द्वारा की गई खरीद 42,500 करोड़ रुपये थी। इस वित्त वर्ष में उनकी खरीद में काफी वृद्धि देखी गई है। प्रमुख प्रतिभागियों के रूप में, केंद्रीय निकायों ने राष्ट्रीय विकास के लिए संसाधन आवंटन को अनुकूलित करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए खरीद सुधारों को आगे बढ़ाना जारी रखा है।
अंतिम विक्रेताओं तक पहुंचने के अपने दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए और सार्वजनिक खरीद को और सरल बनाने के उद्देश्य से, जीईएम ‘जीईएम सहायक’ कार्यक्रम शुरू करने की योजना बना रहा है। इसका उद्देश्य 6 से 7 हजार प्रशिक्षित और प्रमाणित मान्यता प्राप्त प्रशिक्षकों का एक अखिल भारतीय नेटवर्क बनाना है, जो जीईएम पर मार्गनिर्देशन करने और व्यावसायिक अवसरों को बढ़ाने में संभावित और मौजूदा जीईएम विक्रेताओं को अपनी सेवाएं प्रदान करेंगे। बोलियां बनाने और अन्य मूल्यवर्धित सेवाओं के मामले में खरीदारों को भी इन सहायकों (‘जीईएम सहायक’) की सेवाओं से लाभ होगा।
जीईएम पर व्यापार करने में आसानी को सुविधाजनक बनाने के लिए जीईएम द्वारा की गई एक और बड़ी पहल विक्रेताओं पर लगाए जाने वाले लेनदेन शुल्क की मात्रा में भारी कमी है। जीईएम की नई राजस्व नीति के अनुसार, 5 लाख रुपये से अधिक के ऑर्डर मूल्य वाले ऑर्डर पर विक्रेताओं/सेवा प्रदाताओं को ऑर्डर मूल्य का केवल 0.30 प्रतिशत (पहले 0.45 प्रतिशत) बदला जाएगा, और ये लेनदेन शुल्क 3 लाख रुपये की अधिकतम राशि पर सीमित होंगे, जबकि पहले 72.50 लाख रुपये बदले जा रहे थे। यह भी बताया गया कि वित्त वर्ष 23-24 के दौरान, 5 लाख रुपये से कम की खरीद के लिए 96.5 प्रतिशत लेनदेन पर कोई लेनदेन शुल्क नहीं लगाया गया था। इस प्रकार, जीईएम ने केवल 3.5 प्रतिशत लेनदेन/ऑर्डर में लेनदेन शुल्क लगाया। प्रशांत कुमार सिंह ने कहा कि जीईएम प्लेटफ़ॉर्म पर लगाए गए लेनदेन शुल्क में लगभग 33 से 96 प्रतिशत की कमी से हमारे विक्रेताओं को बहुत लाभ होगा और इससे बाज़ार में उनकी पेशकश के अधिक प्रतिस्पर्धी होने की संभावना है।
जीईएम ने अपने #वोकलफॉरलोकल आउटलेट स्टोर मार्केटप्लेस के हिस्से के रूप में “द आभार कलेक्शन” नामक अपनी महत्वपूर्ण पहल शुरू की। “द आभार कलेक्शन” में 120 से अधिक उत्तम और हाथ से तैयार उपहार वस्तुएं और हैम्पर्स प्रदर्शित किए गए है जिनमें एक जिला एक उत्पाद और जीआई श्रेणियों के चुनिंदा उत्पाद शामिल हैं। इनकी कीमत 500 रुपये से लेकर 25,000 रुपये तक है, जिसका उपयोग सरकारी खरीदार अपने सभी आधिकारिक कार्यक्रमों एवं समारोहों आदि में कर सकते हैं।
जीईएम के सीईओ श्री प्रशांत कुमार सिंह ने कहा कि ‘द आभार कलेक्शन’ का शुभारंभ स्वदेशी कला और शिल्प की दृश्यता बढ़ाने, भारतीय विरासत एवं संस्कृति की समृद्ध झलक दिखाने और केंद्रीय एवं राज्य हस्तशिल्प और हथकरघा एम्पोरियम के नेटवर्क के माध्यम से हमारे वंचित विक्रेता समूहों को सशक्त बनाने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
इस वित्तीय वर्ष में जारी रखते हुए, जागरूकता, पहुंच और क्षमता निर्माण पहलों को और मजबूत किया गया। जीईएम ने दलित भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल, असम स्टार्टअप नेस्ट और नॉर्थ ईस्टर्न डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए और देश भर में खरीदारों और विक्रेताओं के लिए 320 से अधिक प्रशिक्षण सत्र भी आयोजित किए। जीईएम के हाल ही में शुरू किए गए संवादात्मक और बहुभाषी प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में भी उल्लेखनीय उपयोगकर्ता पंजीकरण देखा गया, जिसमें इसकी शुरूआत के बाद से केवल चार महीनों के भीतर 1,172 खरीदारों और 3,393 विक्रेताओं ने नामांकन किया है।
सार्वजनिक खरीद क्षेत्र में अपनी अग्रणी स्थिति बनाए रखने के लिए, जीईएम आगामी तिमाही में “जीईएमएआई” नामक अपने जनरेटिव एआई-आधारित चैटबॉट को लागू करने के लिए पूरी तरह तैयार है। एआई टूल को विभिन्न शिकायत और प्रतिक्रिया तंत्रों के माध्यम से खरीदारों और विक्रेताओं द्वारा उठाए गए प्रश्नों के सूक्ष्म विश्लेषण के आधार पर समाधान प्रदान करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। जनरेटिव एआई के जरिए संवादात्मक विश्लेषण और व्यावसायिक बुद्धिमत्ता का उपयोग करके एक मजबूत एआई-संचालित चैट बॉट का निर्माण किया जा रहा है। इस प्लेटफ़ॉर्म के समग्र प्रदर्शन पर एकीकृत 360-डिग्री दृश्य प्रदान करने के लिए जीईएम पर एक व्यापक निगरानी उपकरण का उपयोग करने की भी योजना बनाई गई है। इसके अलावा, जीईएम उपयोगकर्ताओं के पतों को जियो-टैग करने की एक परियोजना चल रही है। इस परियोजना से एमएसई, ओडीओपी बिक्री, उत्पाद सांद्रता आदि जैसे लेन-देन का भूगोल-आधारित मानसिक चित्रण मिलेगा।
मात्रात्मक परिणामों से परे, जीईएम ने पारदर्शिता को बढ़ाने, भ्रष्टाचार के अवसरों को कम करने, बाज़ार में छोटे विक्रेताओं की भागीदारी बढ़ाने और समय दक्षता में उल्लेखनीय सुधार करने जैसे गुणात्मक पहलुओं को काफी बढ़ाया है। पिछले वित्तीय वर्ष में की गई कठिन तैयारी के आधार पर, वित्त वर्ष 24-25 की पहली तिमाही के अंत में जीईएम की उपलब्धियां सार्वजनिक खरीद बाजार में दक्षता, पारदर्शिता और समावेशिता के अहम चालक के रूप में इसकी स्थिति मजबूत करती हैं।