नई दिल्ली (हि.स.)। भारतीय वायु सेना की मेजबानी में बहुराष्ट्रीय वायु अभ्यास ’तरंग शक्ति’ के पहले चरण का समापन बुधवार को दक्षिण भारत के तमिलनाडु के सुलूर में हो गया। इसमें भारत, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन और स्पेन की वायु सेनाओं के राफेल, टाइफून, एसयू-30, एलसीए, ए-400 सैन्य परिवहन विमान और एयरबस ए330 मल्टी-रोल टैंकर परिवहन विमानों ने अद्भुत प्रदर्शन किया। भारतीय टुकड़ी ने हवाई युद्ध उड़ानों में भाग लेकर ‘आत्मनिर्भरता’ के तहत स्वदेशी क्षमताओं का प्रदर्शन किया।
बहुराष्ट्रीय वायु अभ्यास ’तरंग शक्ति’ का पहला चरण 6 अगस्त को शुरू हुआ था। इसका दूसरा और अंतिम चरण 29 अगस्त से 14 सितंबर तक राजस्थान के जोधपुर में होगा। दूसरे चरण में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ग्रीस, बांग्लादेश, सिंगापुर, यूएई की वायु सेनाएं शामिल होंगी। इन वायु सेनाओं के लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, विशेष ऑपरेशन विमान, मध्य हवा में ईंधन भरने वाले और हवाई चेतावनी और नियंत्रण प्रणाली (अवाक्स) विमान सहित 70-80 विमान भाग लेंगे।
अभ्यास ’तरंग शक्ति’ में वायु सेना के अग्निवीरों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अभ्यास से संबंधित सभी कार्यों में शामिल होकर उन्हें अपने कौशल को निखारने का मौका मिला। भारत के पहले बहुराष्ट्रीय हवाई अभ्यास ’तरंग शक्ति’ ने वैश्विक रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करके उन्नत हवाई क्षमताओं को प्रदर्शित किया। भारतीय टुकड़ी ने हवाई युद्ध उड़ानों में भाग लेकर ‘आत्मनिर्भरता’ के तहत स्वदेशी क्षमताओं का प्रदर्शन किया। हिंद महासागर क्षेत्र में प्रभाव बढ़ाने के लिए भारतीय लड़ाकू विमान सुखोई-30 ने राफेल की जोड़ी का नेतृत्व किया।
’तरंग शक्ति’ अभ्यास में भारत के सबसे छोटे लड़ाकू एलसीए तेजस ने अपनी क्षमता का अद्भुत प्रदर्शन किया। इसकी ताकत परखने के लिए कई विदेशी वायु सेनाओं के प्रमुखों ने एलसीए में उड़ान भरी। सुलूर एयरबेस पर अभ्यास के पहले चरण के समापन पर मीडिया ब्रीफिंग में भारतीय वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने कहा कि सबसे छोटे लड़ाकू विमान एलसीए ने दिखाया कि आकार मायने नहीं रखता, क्योंकि इसने बड़े और आधुनिक वैश्विक लड़ाकू विमानों के साथ-साथ दोस्ताना ‘ब्लू फोर्स’ और शत्रुतापूर्ण ‘रेड फोर्स’ मिशनों को अंजाम देकर यथार्थवादी युद्ध स्थितियों में अपनी क्षमताएं साबित की हैं। अभ्यास तरंग शक्ति के पहले चरण के दौरान सभी उद्देश्य पूरे हो गए हैं।
चौधरी ने कहा कि यह पहली बार था जब एलसीए एमके-1 ने इतने बड़े सैन्य अभियान में हिस्सा लिया और हमें इसके प्रदर्शन पर गर्व है। उन्होंने कहा कि तेजस भारत के आत्मनिर्भरता अभियान में हमारी सफलता का प्रतीक है। हम देश के अंदर और बाहर हवाई युद्ध अभ्यास में इस विमान का अधिक उपयोग करेंगे। भारतीय वायुसेना के पास करीब 40 एलसीए एमके-1 हैं और ये सभी सुलूर में स्थित हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय लड़ाकू विमान जर्मन, फ्रांसीसी और स्पेनिश वायु सेनाओं के साथ मिलकर उड़ान भरकर हमेशा के लिए एक दूसरे से जुड़े बंधन बन गए हैं। यह मित्र देशों के साथ एकता और एक-दूसरे की सहयोग शक्ति का प्रमाण है।
फ्रांसीसी वायु एवं अंतरिक्ष बल स्टाफ के प्रमुख जनरल स्टीफन मिल ने 13 अगस्त को भारतीय वायु सेना के स्वदेशी लड़ाकू जेट एलसीए तेजस पर उड़ान भरी। फ्रांसीसी वायु सेना के राफेल पायलट 38 वर्षीय मेजर एलेक्सिस गैलोजो ने एलसीए एमके-1 के साथ और उसके खिलाफ मिशन उड़ाए। भारतीय लड़ाकू जेट की क्षमताओं से प्रभावित फ्रांसीसी मेजर ने कहा कि इसकी गतिशीलता शानदार है और यह कई तरह के मिशनों को अंजाम दे सकता है। भारतीय वायु सेना प्रमुख और स्पेनिश वायुसेना प्रमुख ने अपने-अपने सुखोई-30एमकेआई में उड़ान भरी। फ्रांसीसी और जर्मन वायु सेना प्रमुखों ने भारतीय वायु सेना के फ्लाइंग डैगर्स और फ्लाइंग बुलेट्स स्क्वाड्रन के स्वदेशी तेजस में उड़ान भरी।
सुलूर में अभ्यास के दौरान लड़ाकू मिशन के लिए तेजस और जर्मन एयर फोर्स के टाइफून ने एक साथ उड़ान भरी। अभ्यास के विभिन्न मिशनों के दौरान जर्मन वायु सेना के ए400 एम, फ्रांसीसी राफेल और तेजस ने एक साथ हिस्सा लिया। स्पेन के वायु सेना प्रमुख एयर जनरल फ्रांसिस्को ब्राको कार्बो ने भारत के स्वदेशी लड़ाकू जेट एलसीए तेजस पर उड़ान भरी। इसके बाद उन्होंने कहा कि इस अभ्यास का अनुभव शानदार रहा। इस अभ्यास के दौरान अनुभवों का आदान-प्रदान करने का बड़ा अवसर मिला। भारतीय वायु सेना से हमें मिला समर्थन शानदार रहा है। हमें भारत के स्वनिर्मित विमान तेजस से बहुत कुछ सीखना है।