नफ़रत की आंधी- जयलाल कलेत

मजहब की खाइयों से,
निकलकर बात कर,
हिन्दू मुस्लिम छोड़कर,
इंसां की बात कर

मुर्दों पर सवालात छोड़,
जिन्दों की बात कर,
छोड़कर नफरत तू कभी,
अमन की बात कर

महकती थी फिजा यहां,
फूलों की बात कर,
किस मोड़ पर खड़ा है,
देखकर बात कर

नफ़रत की आंधी छोड़ दें,
यारी की बात कर,
गुलशन महकती रहे,
कुछ ऐसी बात कर

-जयलाल कलेत
रायगढ़ छत्तीसगढ़,