शोधकर्ताओं ने एक दुर्लभ इलेक्ट्रान स्थानीयकरण परिघटना को खोज निकाला है जो कि सामग्री चुनने के विकल्प बढ़ा सकती है और जिसका उपयोग सेमिकंडक्टर के मौजूदा प्रदर्शन को बेहतर बनाने में किया जा सकता है अथवा लेजर, आप्टिकल माड्यूलेटर और फोटोसचालकता जैसे क्षेत्रों में उनके अनुप्रयोगों का विस्तार किया जा सकता है।
अमेरिका के सैद्वांतिक भौतिक विज्ञानी पी डब्ल्यू एंडरसन द्वारा प्रस्तावित अव्यवस्थित और अनाकार संमिकंडक्टर में इलेक्ट्रांस, फोटोन्स और फोनोंस जैसे प्राथमिक अर्धकणों की एंडरसन स्थानीयकरण ठोस-अवस्था भौतिकी में एक दिलचस्प घटना है। यह तब होती है जब डोपिंग और अशुद्धियां धातुओं और सेमिकंडक्टर में प्रवाह अनुपस्थिति का कारण बनती हैं।
डोपिंग और अशुद्धियों के परिणामस्वरूप, इलेक्ट्रान जो कि किसी चालक धातु में आमतौर पर उच्च संभावना वाले क्षेत्र से निम्न संभावना वाले क्षेत्र की तरफ जाते हैं, भ्रमित हो जाते हैं और अपमिश्रित अथवा अशुद्ध केन्द्र के आसपास घूमते रहते हैं। यह एक चालक का एक कुचालक में परिवर्तित होना है जिसे एंडरसन बदलाव कहते हैं।
एंडरसन स्थानीयकरण के पारंपरिक दृष्टिकोण, जहां जाली में रिक्तियों अथवा विस्थापन (जहां इलेक्ट्रॉन प्रवाहित नहीं होते) जैसे ज्यामितीय अथवा स्थलीय दोषों के महत्व पर जोर दिया जाता है, उसके विपरीत सैद्वांतिक भौतिक विज्ञानी बोरिस आई. श्कलोवस्की और एलेक्स एल एफ्रोस ने प्रस्ताव किया कि आवेशित डोपेंट के बेतरतीब वितरण से उत्पन्न संभावित उतार-चढ़ाव से भी धातु-कुचालक संक्रमण पैदा हो सकता है, इसे अर्ध-क्लासिक एंडरसन संक्रमण के तौर पर जाना जाता है। दशकों के प्रयासों के बावजूद इस घटनाक्रम का प्रत्यक्ष प्रयोगात्मक सत्यापन बना हुआ है।
एक महत्वपूर्ण खोज में भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक स्वायतशासी संस्थान, बेंगलूरू स्थित जवाहरलाल नेहरू आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान केन्द्र के शोधकर्ताओं ने अर्ध-क्लासिक एंडरसन संक्रमण का प्रदर्शन करने के लिये आक्सीजन और मैग्निशियम का उपयोग अनियमित डोपेंट के तौर पर किया जिससे संभावित उतार- चढ़ाव पैदा हुआ (विद्युतीय क्षमता) और इससे विद्युत प्रवाह रोकने वाले डाइइलेक्ट्रिक मैट्रिक्स के भीतर इलेक्ट्रान के बुलबुले पैदा हुये जिससे मूल सामग्री में एक बैंड संरचनात्मक बदलाव आ जाता है। यह ऐसी स्थिति बनाता है जिसे – परकोलेटिव धातु-कुचालक संक्रमण – के रूप में जाना जाता है जिसमें संरचना वही रहती है लेकिन इलेक्ट्रानिक रूप से बदलाव होता है।
एसोसियेट प्रोफेसर बीवास शाह के नेतृत्व में टीम ने खुलासा किया कि किस प्रकार भारी मात्रा में मादित किये गये एकल- क्रिस्टलीय और अत्यधिक प्रतिकारक सेमिकंडक्टर, एकल क्रिस्टलीय स्केंडियम नाइट्राइट के साथ एक उदहारण के तौर पर उल्लेखनीय धातु- कुचालक संक्रमण से प्रवाहित होते हैं।
फिजिकल रिब्यू बी- पत्रिका में प्रकाशित इस बदलाव में प्रतिरोधकता में नौ क्रम का आश्चर्यजनक बदलाव देखा गया है। इससे इन सामग्रियों में इलेक्ट्रान स्थानीयकरण व्यवहारों को लेकर नई जानकारी सामने आई है।
शोधकर्ताओं ने इस मामले में एक अनूठा तरीका अपनाया है। उन्होंने एक मैग्निशियम (छिद्र) प्रतिकारित स्केडियम नाइट्राइड सेमिकंडक्टर का उपयोग किया और इसे एक अति उच्च निर्वात वृद्धि परिस्थितियों के तहत रख दिया। इन सामग्रियों में उतार-चढ़ाव क्षमता का परिणाम न केवल धातु-कुचालक सक्रमण रहा है बल्कि वाहक गतिशीलता, तापउर्जा और फोटो चालकता के मामले में इनमें असामान्य व्यवहार देखा गया।
डोपेंट के अनियमित वितरण के परिणामस्वरूप उत्पन्न संभावित उतार-चढ़ाव वाहक का स्थानीयकरण कर सेमिकंडक्टर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देता है। इस प्रकार की स्थानीयकृत प्रणाली में इलेक्ट्रान परिवहन एक अन्तस्त्रवण प्रक्रिया के माध्यम से होता है जो कि सेमिकंडक्टर में बहुत आम नहीं है। इस प्रकार विद्युत परिवहन और गतिशीलता, फोटोसचालकता और तापउर्जा जैसे गुणों को बताने वाली भौतिकी ऐसी सामग्रियों में अलग होती है।
शोधपत्र के मुख्य लेखक डॉ. घीमही ने अपनी टिप्पणी में कहा, ‘‘एकल क्रिस्टलीय और एपिटैक्सियल सेमिकंडक्टर में इस तरह का इलेक्ट्रानिक संक्रमण विभिन्न अनुप्रयोगों में उनके उपयोग के मार्ग खोल सकता है जिनमें लेजर, आप्टिकल माॅड्यूलेटर, फोटोकंडक्टर, स्पिनट्रानिक उपकरण और फोटोरिफ्रेक्टिव डायनामिक होलोग्राफिक मीडिया शामिल है।’’ इसमें संभावित उतार-चढ़ाव सामग्रियों में सेमिकंडक्टर गुणों को बदलने के लिये एक बेहतर माध्यम हो सकता है और अलग अलग अध्ययन शाखाओं में यह अधिक सक्षम सेमिकंडक्टर सामने ला सकता है।
प्रो. बिवास शाह ने कहा, ‘‘हमारा शोध सामग्रियों में अर्ध-क्लासिक एंडरसन संक्रमण और परकोलेटिव धातु-कुचालक परिवर्तन पर पहली प्रयोगात्मक पुष्टि करता है। हमने यह दिखाया है कि डोपेंट के अनियमित वितरण के परिणामस्वरूप होने वाले संभावित उतार-चढ़ाव सेमिकंडक्टर में इलेक्ट्रान परिवहन भौतिकी को एकदम बदल देता है जिससे कि अन्तःस्त्रवण प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इसके अलावा हम दिखाते हैं कि यह किसी भी ऐसी घटना को प्राप्त कर सकता है जो कि एंडरसन संक्रमण के समान ही है, हालांकि यह एकल-क्रिस्टलीय सामग्री में होता है। ये निष्कर्ष सामग्रियों में इलेक्ट्रान स्थानीयकरण की हमारी समझ में बदलाव लाने को तैयार हैं। ’’
जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर) के अलावा, सिडनी, आस्ट्रेलिया और जर्मनी के ड्यूश इलेक्ट्रोनेन- सिंक्रोट्रोन के शोधकर्ताओं ने भी इस कार्य में भाग लिया।
प्रकाशनः https://journals.aps.org/prb/abstract/10.1103/PhysRevB.109.155307