एक दिन हत्यारा
निपट अकेला रह जायेगा
उसके अनंत हाथ
टूट जायेंगे चरमराकर
खत्म हो चुकी होगी
बदले की भावना
हताश-निराश
ह्रदय में पश्चाताप
आँखों में होंगे आँसू
वह आयेगा कलाकार के पास
रोना चाहेगा
लेकिन! रोना सम्भव कहाँ है
सबके लिए?
वह क्षमा मांगना चाहेगा
हत्यारे के पास
वे दो हाथ नहीं होंगे
जिन्हें जोड़कर
मांग सके क्षमा
उस दिन हत्यारा
हत्यारा नहीं होगा
हत्यारा हिंसा की
हथकड़ियों से मुक्त होगा
कलाकार
कर देगा उसे क्षमा
उसके बाद
वह तल्लीन हो जायेगा
एक नयी महान
और कालजयी
मूर्ति के निर्माण में
-जसवीर त्यागी