दूर की दोस्ती हम निभाते रहे
दोस्तों को चाय पर बुलाते रहे
दिल की बस्ती बागबां हो गयी
ख़ुशी की महफ़िलेंं सजाते रहे
प्यार से जो भी मिला राह में
प्यार से ही अपना बनाते रहे
अरसे बाद मिले यारों से तो
सुर्खियों में सुनते-सुनाते रहे
ताल सी छिड़ गई कहानियां
नादां किस्से मन लुभाते रहे
सब ठीक हो जायेगा इकदिन
यही सोच मन बहलाते रहे
यूँ गुजरा जिंदगी का सफ़र
बेचकर ख़ुद को कमाते रहे
-अनामिका वैश्य आईना
लखनऊ