Sunday, September 8, 2024
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पुराणों के अनुसार मार्गशीर्ष से अधिक शुभ कोई मास नहीं, अत्यंत फलदायी होती है भगवान श्रीकृष्ण की पूजा

सनातन पंचांग के अनुसार एक वर्ष में बारह मास होते हैं, सनातन पंचांग का आरंभ चैत्र मास से होता है और फाल्गुन मास सनातन पंचांग का अंतिम मास होता है। सनातन पंचांग में चैत्र, बैसाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फाल्गुन मास होते हैं।

सनातन पंचांग का नौवां मास मार्गशीर्ष है। मार्गशीर्ष मास को अगहन के नाम से भी जाना जाता है। सनातन मान्यता के अनुसार मार्गशीर्ष मास को अत्यंत शुभ माना जाता है। पुराणों में भी मार्गशीर्ष मास को ‘मासोनम मार्गशीर्षोहम्’ कहा गया है, अर्थात् मार्गशीर्ष से अधिक शुभ कोई मास नहीं है। इस वर्ष मार्गशीर्ष मास मंगलवार 28 नवंबर से बुधवार 26 दिसंबर 2023 तक रहेगा।

मार्गशीर्ष मास 2023 के प्रमुख व्रत-त्यौहार

गुरुवार 30 नवंबर- गणाधिप संकष्टी चतुर्थी
मंगलवार 5 दिसंबर- कालभैरव जयन्ती
शुक्रवार 8 दिसंबर- उत्पन्ना एकादशी
रविवार 10 दिसंबर- प्रदोष व्रत
मंगलवार 12 दिसंबर- मार्गशीर्ष अमावस्या
शनिवार 16 दिसंबर- धनु संक्रान्ति
रविवार 17 दिसंबर- विवाह पंचमी
सोमवार 18 दिसंबर- चम्पा षष्ठी
शुक्रवार 22 दिसंबर- गीता जयन्ती, मोक्षदा एकादशी
रविवार 24 दिसंबर- प्रदोष व्रत
मंगलवार 26 दिसंबर- दत्तात्रेय जयन्ती, मार्गशीर्ष पूर्णिमा

मार्गशीर्ष मास का महत्व

सनातन संस्कृति में मार्गशीर्ष मास अथवा अगहन मास का विशेष महत्व है। मार्गशीर्ष मास को सबसे शुभ महीनों में से एक माना जाता है। सनातन धर्म में कार्तिक महीने के बाद पड़ने वाले मास को मार्गशीर्ष कहते हैं। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन चंद्रमा मृगशिरा नक्षत्र में रहता है, इसी नक्षत्र के नाम पर इस पावन मास का नाम मार्गशीर्ष रखा गया है। मार्गशीर्ष मास को जाने-अनजाने किए गए पाप से मुक्ति और पुण्य की प्राप्ति के लिए सबसे उत्तम बताया गया है। इस मास में किसी पवित्र नदी या सरोवर आदि में स्नान एवं दान आदि करने का बहुत ज्यादा महत्व है। मार्गशीर्ष मास में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अत्यंत ही फलदायी मानी गई है। इसके साथ ही इस मास में मां लक्ष्मी एवं शंख की पूजा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

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