Monday, February 17, 2025
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मार्गशीर्ष मास से हुई थी सतयुग की शुरुआत, पूर्णिमा के दिन स्नान-दान का है विशेष महत्व

सनातन पंचांग के अनुसार नौवां मास मार्गशीर्ष होता है, इसे अगहन के नाम से भी जाना जाता है। पुराणों में मार्गशीर्ष मास को ‘मासोनम मार्गशीर्षोहम्’ कहा गया है, अर्थात् मार्गशीर्ष से अधिक शुभ कोई मास नहीं है। श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने भी कहा है कि सभी महीनों में मार्गशीर्ष सबसे पवित्र मास है।  

सनातन धर्म में मार्गशीर्ष मास को दान-धर्म और भक्ति करने के लिए सबसे शुभ मास माना जाता है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान और तप करना बेहद ही शुभ माना जाता है।

तिथि और समय

इस वर्ष मार्गशीर्ष मास मंगलवार 28 नवंबर से बुधवार 26 दिसंबर 2023 तक रहेगा। मार्गशीर्ष मास में आने वाली पूर्णिमा को मार्गशीर्ष पूर्णिमा कहा जाता हैं। इस बार मार्गशीर्ष पूर्णिमा मंगलवार 26 दिसंबर 2023 मनाई जाएगी। पूर्णिमा तिथि मंगलवार 26 दिसंबर 2023 को प्रातः 5:46 बजे शुरू होगी और बुधवार 27 दिसंबर 2023 को प्रातः 6:02 बजे समाप्त होगी।

महत्व

पौराणिक मान्यता है कि मार्गशीर्ष मास से ही सतयुग की शुरुआत हुई थी। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन जो लोग इस दिन विधि-विधान से व्रत रखते है, उन्हें सौभाग्य, सुख और समृद्धि प्राप्त होती हैं। मार्गशीर्ष मास में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अत्यंत ही फलदायी मानी गई है। इसके साथ ही इस मास में मां लक्ष्मी एवं शंख की पूजा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा को अमृत से सींचा गया था, इसलिए मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा करनी चाहिए।

पूजा विधि

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए। नहाने के पानी में तुलसी के पत्ते डालें और फिर स्नान करें। किसी पवित्र नदी में स्नान करें तो और भी शुभ होगा। स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य दें। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर मंत्र जाप करें। इस दिन जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करना अत्यंत लाभकारी होता है। इसके साथ ही रात को चंद्रमा को भी अर्घ्य दें। चंद्र देवता को प्रसन्न करने और मन की शांति पाने के लिए मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन उपवास भी कर सकते हैं।

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