‘गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु॥‘
पतित पावनी माँ नर्मदा की जयंती माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। नर्मदा जयंती के दिन नर्मदा नदी के घाटों में श्रद्धालुओं का जन सैलाब उमड़ता है और वे माँ के दर्शन कर आशीर्वाद पाते हैं।
मत्स्य पुराण में माँ नर्मदा की महिमा इस तरह वर्णित है- कनखल क्षेत्र में गंगा पवित्र है और कुरुक्षेत्र में सरस्वती, परन्तु गांव हो चाहे वन, नर्मदा सर्वत्र पवित्र है। यमुना का जल एक सप्ताह में, सरस्वती का तीन दिन में, गंगाजल उसी दिन और नर्मदा का जल उसी क्षण पवित्र कर देता है।
पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि मंगलवार 4 फरवरी 2025 को सुबह 4:37 (AM) बजे आरंभ होगी और बुधवार 5 फरवरी को तड़के 2:30 (AM) बजे सप्तमी तिथि का समापन होगा। उदयातिथि के अनुसार नर्मदा जयंती मंगलवार 4 फरवरी को मनाई जाएगी।
नर्मदा जयंती के दिन नर्मदा नदी पर स्नान करने के बाद माँ नर्मदा नदी के तट पर फूल, धूप, अक्षत, कुमकुम आदि से पूजन करना चाहिए। इस दिन नर्मदा नदी में 11 आटे के दीप जलाने चाहिए और उनका दीपदान करना चाहिए। यह बेहद शुभ माना जाता है। ऐसा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
विष्णु पुराण के अनुसार नाग राजाओं द्वारा माँ नर्मदा को यह वरदान प्राप्त है कि जो व्यक्ति इनके जल का स्मरण भी करेगा उसके शरीर में कभी सर्प का विष नहीं फैलेगा। वायु पुराण के अनुसार माँ नर्मदा पितरों की पुत्री हैं, जो पत्थर को भी देवत्व प्रदान करती हैं और पत्थर के भीतर आत्मा प्रतिष्ठित करने वाली हैं।
स्कंद पुराण के अनुसार माँ नर्मदा प्रलय काल में भी स्थायी बनी रहती हैं। वहीं मत्स्य पुराण में वर्णन है कि इनके दर्शन मात्र से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। स्कंद पुराण के रेवाखंड में ऋषि मार्कंडेय ने लिखा है कि भगवान श्रीहरि विष्णु के सभी अवतारों ने माँ नर्मदा के तट पर आकर स्तुति की है। पुराणों के अनुसार संसार में माँ नर्मदा एकमात्र नदी हैं, जिनकी प्रदक्षिणा की जाती है। माँ नर्मदा की परिक्रमा मनुष्य ही नहीं, बल्कि सिद्ध, नाग, यक्ष, गंधर्व एवं किन्नर भी करते हैं।
आदिगुरु शंकराचार्य ने ‘नर्मदाष्टक’ में माँ नर्मदा को ‘सर्वतीर्थ नायकम्’ अर्थात् सभी तीर्थों में अग्रणी’ कहा है। माँ नर्मदा की महिमा का वर्णन वेद-पुराणों सहित रामायण, महाभारत आदि सभी महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथों में मिलता है।