सनातन धर्म में बसंत पंचमी का विशेष महत्व है, ऐसा कहा जाता है कि बसंत पंचमी के आते ही ऋतु परिवर्तन होने लगता है। इस दिन से जहां ठंडक कम होने लगती है, वहीं ग्रीष्म ऋतु की आगमन शुरू हो जाता है। साथ ही विद्या और बुद्धि की देवी माँ सरस्वती का प्राकट्य दिवस बसंत पंचमी के रुप में मनाया जाता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बसंत पंचमी के दिन को माँ सरस्वती का जन्मदिन माना जाता है। इस दिन उनकी विशेष पूजा होती है और पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है। इस दिन सभी विद्यालयों एवं घरों में माँ सरस्वती का पूजन किया जाता है। विद्यार्थी इस दिन किताब-कॉपी और पाठ्य सामग्री की भी पूजा करते हैं। जिस दिन पंचमी तिथि सूर्योदय और दोपहर के बीच रहती है, उस दिन को सरस्वती पूजा के लिये उपयुक्त माना जाता है। इस दिन कई स्थानों पर शिशुओं को पहला अक्षर लिखना सिखाया जाता है। इसका कारण यह है कि इस दिन को विद्या आरंभ करने के लिये शुभ माना जाता है।
वहीं ज्योतिषाचार्यों के अनुसार बसंत पंचमी का दिन अबूझ मुहूर्त के तौर पर भी जाना जाता है, इस दिन नए कार्यों का शुभारंभ सर्वोत्तम माना जाता है इस दिन नये घर की नींव पूजन, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना, व्यापार शुरू करना, विवाह, अन्नप्राशन सहित अनेक मांगलिक कार्य भी किए जाते हैं। पौराणिक मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने देवी सरस्वती से प्रसन्न होकर वरदान दिया था कि बसंत पचंमी के दिन उनकी आराधना की जाएगी। तब से बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती के पूजन की परंपरा चली आ रही है।
बसंत पंचमी शुभ मुहूर्त
इस साल बसंत पंचमी का पर्व शनिवार 5 फरवरी को मनाया जाएगा। पंचमी तिथि का आरंभ 5 फरवरी को प्रात:काल 3:47 बजे से होगा, वहीं पंचमी तिथि का समापन 6 फरवरी प्रात:काल 3:46 बजे होगा। बसंत पंचमी पूजा का शुभ मुहूर्त 5 फरवरी प्रात:काल 7:07 बजे से दोपहर 12:35 बजे तक रहेगा। वहीं इस दिन दो शुभ योग भी बन रहे हैं। 5 फरवरी को मकर राशि में सूर्य और बुध के रहने से बुधादित्य योग बन रहा है। वहीं सभी ग्रह चार राशियों में विद्यमान रहेंगे। इस कारण केदार योग का भी निर्माण हो रहा है।
बसंत पंचमी पूजा विधि
बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन शिक्षण संस्थानों में मां सरस्वती की पूजा के साथ-साथ घरों में भी उनकी पूजा की जाती है। इस दिन प्रात:काल स्नान के बाद पीले वस्त्र धारण कर मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करें। अब तिलक कर धूप-दीप जलाकर मां को पीले फूल अर्पित करें। बसंत पंचमी के दिन अगर पूजा मे सरस्वती स्त्रोत का पाठ किया जाए तो इससे व्यक्ति को अद्भूत परिणाम प्राप्त होते हैं। साथ ही आज के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी, भगवान विष्णु, वाद्य यंत्र और किताबें रखकर उनको भी धूप-दीप दिखाएं और विधि विधान से पूजा करें। पूजास्थल पर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु जी की प्रतिमाएं स्थापित कर श्री सूक्त का पाठ करना बहुत लाभकारी माना जाता है।
सरस्वती वंदना
या कुन्देन्दु-तुषारहार-धवला या शुभ्र-वस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकर-प्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
शुद्धां ब्रह्मविचार सारपरम- माद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥
सरस्वती स्त्रोत्र
सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने।
विद्यारुपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोह्यस्तु ते।।
यदक्षरं पदं भ्रष्टं मात्राहीनं च यद्भवेत ।
तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरि।।
कला, साहित्य और सर्वमंगल के लिए
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमां आद्यां जगद्व्यापिणीम्
वीणा पुस्तक धारिणीं अभयदां जाड्यान्धकारापाहाम्
हस्ते स्फाटिक मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धि प्रदां शारदाम्
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकर: प्रभृतिभिर्देवै: सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती नि:शेषजाड्यापहा।।
भय निवारण हेतु
ऐं ह्रीं श्रीं वीणा पुस्तक धारिणीम् मम् भय निवारय निवारय अभयम् देहि देहि स्वाहा।
स्मरण शक्ति बढाने के लिए मंत्र
नम: भगवति वद वद वाग्देवि स्वाहा
बुद्धिमत्ता के लिए
शारदा शारदाभौम्वदना। वदनाम्बुजे।
सर्वदा सर्वदास्माकमं सन्निधिमं सन्निधिमं क्रिया तू।
श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा।
ऊं ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नम:।