भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित मार्गशीर्ष या अगहन महीने की पूर्णिमा तिथि को मार्गशीर्ष पूर्णिमा मनाई जाती है, यह वर्ष 2023 की अंतिम पूर्णिमा भी है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद दान करने का विधान है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर सत्यनारायण भगवान, श्रीहरि विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा की जाती है।
शास्त्रों में मार्गशीर्ष या अगहन मास का महत्व बताते हुए इसे ‘मासोनम मार्गशीर्षोहम्’ कहा गया है, अर्थात् मार्गशीर्ष से अधिक शुभ कोई मास नहीं है। श्रीमद्भागवत गीता में भी भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि सभी महीनों में मार्गशीर्ष सबसे पवित्र मास है। साथ ही मार्गशीर्ष मास में पड़ने वाली पूर्णिमा भी पवित्र और श्रेष्ठ मानी जाती है।
मार्गशीर्ष मास की शुरुआत 28 नवंबर से हुई है और इसका समापन 26 दिसंबर 2023 को मार्गशीर्ष पूर्णिमा के साथ होगा। मार्गशीर्ष पूर्णिमा मंगलवार 26 दिसंबर 2023 को पड़ रही है। इसी दिन भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के अंश दत्तादेय की जयंती भी मनाई जाती है। साथ ही इसी दिन अन्नपूर्णा जयंती भी है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि का आरंभ 26 दिसंबर की सुबह 5:46 बजे होगा और इसका समापन 27 दिसंबर की सुबह 6:02 बजे होगा। पूर्णिमा तिथि का व्रत, स्नान, दान आदि सभी कार्य 26 दिसंबर को करना ही मान्य होगा। मंगलवार 26 दिसंबर को मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन स्नान और दान का कार्यक्रम ब्रह्म मुहूर्त से प्रारंभ हो जाएगा। उस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:22 बजे से सुबह 6:17 बजे तक है। इस समय के अलावा श्रद्धालु सुबह 9:47 बजे से दोपहर 1:39 बजे के मध्य भी पूर्णिमा स्नान, दान और पूजा पाठ कर सकते हैं। वहीं लक्ष्मी पूजन देर रात 11:54 बजे से 12:49 बजे तक किया जा सकेगा।
इस वर्ष की मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन शुक्ल योग बन रहा है, साथ ही इस दिन मृगशिरा नक्षत्र भी है। शुक्ल योग प्रात:काल से लेकर 27 दिसंबर को प्रात: 3:22 बजे तक है। उसके बाद से ब्रह्म योग प्रारंभ हो जाएगा। मार्गशीर्ष पूर्णिमा को प्रात:काल से मृगशिरा नक्षत्र शुरू है, जो रात 10:21 बजे तक रहेगा, उसके बाद से आर्द्रा नक्षत्र लग जाएगा।