रंगोत्सव सनातन संस्कृति के प्रमुख त्योहारों में से एक है। कुछ कारणों से इस वर्ष होलिका दहन का योग दो दिन बन रहा है। जहाँ एक ओर देश के अधिकांश भाग में 6 मार्च को होलिका दहन का योग है, वहीं दूसरी तरफ भारत के कुछ पूर्वी राज्यों में 7 मार्च को भी योग है। धर्मसिंधु, ज्योतिषशास्त्र एवं अन्य शास्त्रों तथा विद्वत्समाज के अनुसार होलिका दहन के सारे मानकों के निष्कर्ष स्वरूप में 6 मार्च को शाम 6:38 से 9.:06 बजे के बीच तक होलिका दहन का शुभ कार्य किया जा सकता है।
केवल जिन स्थानों पर सूर्यास्त शाम 6:10 से पहले हो रहा है, उन स्थानों पर होलिका दहन का योग 7 मार्च को भी बन रहा है। अतः जो लोग 7 मार्च को होलिका दहन करना चाहते हैं वे अपने स्थानों के सूर्यास्त का समय पता कर लें और 7 मार्च के शाम 6.:24 बजे से रात्रि 8:51 बजे के बीच होलिका दहन का कार्य सम्पन्न कर लें।
जहाँ 6 मार्च को होलिका दहन किया जायेगा वहाँ धुलेंडी (रंग होली) 7 मार्च को होगी और जहाँ 7 मार्च को होलिका दहन किया जायेगा वहाँ धुलेंडी (रंग होली) 8 मार्च को मनाई जायेगी।
होली की रात्रि चार पुण्यप्रद महारात्रियों में आती है। होली की रात्रि का जागरण और जप बहुत ही फलदायी होता है, इसलिए इस रात्रि में जागरण और जप कर सभी पुण्यलाभ लें। यह उत्सव प्राकृतिक रंगों द्वारा स्वास्थ्य-सुरक्षा, आनंद-उल्लास के साथ ज्ञान, ध्यान, जागरण, जप के द्वारा आंतर चेतना जगाने वाला तथा अंतर आराम और अंतरात्मा की प्रीति देनेवाला पर्व है।