Monday, November 18, 2024
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पौष मास: ज्योतिषाचार्य से जानिए क्या पूस में किए जा सकते हैं शुभ कार्य? विवाह मुहूर्त एवं प्रमुख व्रत-त्यौहार

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय
प्रश्न कुंडली एवं वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ
साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया
सागर, मध्य प्रदेश- 470004
व्हाट्सएप- 8959594400

सनातन धर्म में पौष मास का विशेष महत्व है और ये मास भगवान सूर्य को समर्पित है, साथ ही पौष मास में भगवान विष्णु की आराधना का भी विशेष महत्व है। वहीं पौष मास की छोटा पितृ पक्ष के रूप में भी मान्यता है, इसलिए इस मास में पिंडदान, श्राद्ध, तर्पण करना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वह परिवारजनों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

सनातन मान्यता के अनुसार पौष मास में भगवान सूर्य का पूजन करना चाहिए और ऐसा करने से भक्तों को उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। पौष मास में भगवान सूर्य का पूजन करने से व्यक्ति को बृद्धि, विद्या और धन के क्षेत्र में लाभ होता है। पौष मास के प्रत्येक रविवार को व्रत करना और भगवान सूर्य की आराधना करना भी अत्यंत फलदायी माना गया है।

सनातन पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास खत्म होते ही पौष या पूस मास शुरू होता है, जो सनातन पंचांग का दसवां महीना है। पंचांग के अनुसार इस वर्ष पौष मास बुधवार 27 दिसंबर 2023 से शुरू हो रहा है जो गुरुवार 25 जनवरी 2024 को समाप्त होगा। सनातन धर्म में महीनों के नाम नक्षत्रों पर आधारित होते है। सनातन पंचांग में मास का परिवर्तन चन्द्र चक्र पर निर्भर करता है, चन्द्रमा जिस नक्षत्र पर होता है उस महीने का नाम उसी नक्षत्र के आधार पर रखा जाता है। पौष मास की पूर्णिमा को चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में रहता है, इसलिए इस मास को पौष मास कहा जाता है।

ऐसी मान्यता है कि पौष मास यानी पूस के महीने में शुभ कार्य नहीं किए जाते, लेकिन एमपी के सागर के ज्योतिषाचार्य पंडित अनिल कुमार पांडेय ने बताया कि पौष मास यानी पूस के महीने में शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित नहीं हैं। उनका कहना है कि सामान्यतया पौष मास और खरमास या मलमास का आरंभ एक साथ होता है, इसलिए ऐसी मान्यता बन गई है कि पूस के महीने में शुभ कार्य नहीं किए जाते।

उन्होंने बताया कि इस वर्ष गुरुवार 16 दिसंबर को खरमास का आरंभ हुआ था और वर्ष 2024 में सोमवार 15 जनवरी को खरमास समाप्त हो जाएगा। वहीं पौष मास बुधवार 27 दिसंबर 2023 से शुरू हो रहा है जो गुरुवार 25 जनवरी 2024 को समाप्त होगा। पौष मास की पूर्णिमा तिथि बुधवार 24 जनवरी 2024 को रात्रि 9:49 बजे से प्रारंभ होगी और गुरूवार 25 जनवरी 2024 को रात 11:23 बजे समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि की मान्यता के अनुसार पौष मास की पूर्णिमा के निमित्त स्नान और दान 25 जनवरी को किया जाएगा।

पंडित अनिल कुमार पांडेय ने बताया कि खरमास में सूर्य को मलीन माना गया है, इसी कारण खरमास में सभी शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित हैं, लेकिन यज्ञ-हवन, पूजा-पाठ, कथा आदि धार्मिक कार्य किए जा सकते हैं। हालांकि इस बार खरमास पहले आरंभ हुआ है, वहीं पौष मास का आरंभ लगभग 10 दिन बाद हो रहा है। इस बार मकर संक्रांति भी पौष मास में आएगी और सूर्यदेव के मकर राशि में प्रवेश करते ही शुभ और मांगलिक कार्यों का आरंभ हो जायेगा।

पंडित अनिल कुमार पांडेय ने बताया कि सोमवार 15 जनवरी को सूर्य देव जब मकर राशि में प्रवेश करेंगे तो खरमास के समाप्त होते ही शुभ और मांगलिक कार्य पुनः प्रारंभ हो जाएंगे। इस दौरान पौष मास जारी रहेगा और पौष मास का समापन गुरुवार 25 जनवरी 2024 को होगा। पंडित अनिल कुमार पांडेय ने कहा कि यहां ये स्पष्ट है कि पौष मास में शुभ और मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं, लेकिन खरमास में शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते।

विवाह के शुभ मुहूर्त

इस वर्ष 16 दिसंबर 2023 से खरमास का आरंभ हुआ था, जिसके बाद 15 जनवरी 2024 तक विवाह के शुभ मुहूर्त नहीं हैं। खरमास के समाप्त होते ही जनवरी में 18, 20, 21, 22, 27, 28, 30 और 31 जनवरी के दिन विवाह के शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। फरवरी में 1, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 12, 13, 18, 19, 24, 25, 26 और 27 फरवरी के दिन विवाह के शुभ मुहूर्त हैं। मार्च के महीने में विवाह के 5 शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। 2, 4, 6, 7 और 11 मार्च को विवाह का शुभ मुहूर्त है। अप्रैल के महीने में 18, 19, 20, 21, 22, 23, 24, 25 और 26 अप्रैल के दिन विवाह के शुभ मुहूर्त बन रहे हैं।

पौष मास के प्रमुख व्रत-त्यौहार

शनिवार 30 दिसंबर- संकष्टी चतुर्थी
रविवार 7 जनवरी- सफला एकादशी
मंगलवार 9 जनवरी- मासिक शिवरात्रि, प्रदोष व्रत
गुरुवार 11 जनवरी- पौष अमावस्या
सोमवार 15 जनवरी- मकर संक्रांति, पोंगल, उत्तरायण
रविवार 21 जनवरी- पौष पुत्रदा एकादशी
मंगलवार 23 जनवरी- प्रदोष व्रत
गुरुवार 25 जनवरी- पौष पूर्णिमा व्रत

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