हर वर्ष भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। हमारे देश में ये जन्मोत्सव बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है क्योंकि इस दिन भगवान श्री विष्णु के 16 कलाओं से युक्त पूर्णावतार, भगवान श्री कृष्ण ने धर्म की सन्स्थापना के लिए माता देवकी के गर्भ से मानव रूप में अवतार लिया था। इस दिन मन्दिरो में बड़ी सजावट की जाती है और लोग घरों में भी झांकियां आदि सजाकर श्रीकृष्ण जी का जन्म कराते हैं और छप्पन भोग लगाकर पूजा उपासना करते हैं।
इस वर्ष 2023 में जन्माष्टमी तिथि को लेकर भ्रम फैला हुआ है कि 6 सितम्बर को मनाई जाय या 7 सितम्बर को?
क्योंकि अधिकांश पंचांगों में दोनों दिन जन्माष्टमी के बताए गए हैं।
मेरे मतानुसार 6 सितम्बर को अष्टमी तिथि दोपहर 3 बजकर 39 मिनट से प्रारंभ होगी जो 7 सितम्बर को शाम 4 बजकर 16 मिनट तक रहेगी। चूंकि भगवान श्री कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में रात्रि 12 बजे हुआ था तो दिनांक 6 सितम्बर को रोहिणी नक्षत्र का प्रारम्भ प्रातः 9 बजकर 21 मिनट से हो रहा जिसका समापन 7 सितम्बर को प्रातः 10 बजकर 25 मिनट को होगा। ऐसे में 6 सितम्बर की रात 12 बजे रोहिणी नक्षत्र के साथ अष्टमी तिथि भी प्राप्त हो रही, इसलिए 6 सितम्बर को दिन भर व्रत उपवास रखकर रात 12 बजे ही जन्म करवा कर पूजन करना सर्वथा उचित रहेगा। जो लोग सूर्योदय व्याप्त उदया तिथि का अनुसरण करते हैं उनके लिए 7 सितम्बर को जन्माष्टमी मनाना उचित है परंतु जन्म का पूजन आदि सुबह साढ़े 10 बजे तक अवश्य कर लेना चाहिए।