ज्योतिषाचार्य अनिल पाण्डेय
प्रश्न कुंडली एवं वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ
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आज मेरे एक शिष्य ने मुझसे पूछा की गुरुजी यह बताएं इस वर्ष दीपावली कब मनाई जाए? मेरे शिष्य ने मुझे यह भी बताया कि कुछ लोग कह रहे हैं की दीपावली 31 अक्टूबर को है तथा कुछ लोग इसे 1 नवंबर को मनाने के लिए कह रहे हैं। सभी के अपने-अपने तर्क हैं, कृपया आप बताइए की मैं दिवाली कब मनाऊं?
हिंदू समाज में एक भ्रम है कि हमारे सभी त्यौहार दो दिन मनायें जाते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि विद्वानों में ही दो वर्ग होते हैं एक वर्ग कहता है कि त्यौहार इस तारीख को मनाया जाना चाहिए और दूसरा वर्ग उसे अगले दिन मनाने के लिए कहता है। यही इस बार दीपावली के लिए भी हो रहा है।
इस संबंध में मेरा मानना है कि विद्वान भी दो तरह के हैं- एक वो जिनको शास्त्रों का पूरा ज्ञान है और दूसरे वो जिनको शास्त्रों का अधूरा ज्ञान है। शास्त्रों में पहले से ही हर तरह की स्थिति में कब कौन सा त्यौहार मनाया जाना चाहिए, इसका पूर्ण विवरण दिया हुआ है। सभी त्यौहारों के बारे में निर्णय सिंधु ग्रंथ और धर्म सिंधु ग्रंथ में कौन सा त्यौहार कब मनाया जाना चाहिए, इसका पूर्ण विवरण अंकित है। अधूरे ज्ञान वाले विद्वानों के पास इस पूर्ण विवरण को पढ़ने का समय नहीं रहता है, अतः वे कुछ ना कुछ भ्रम फैलाते रहते हैं।
हम सभी जानते हैं कि कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली मनाई जाती है। भुवन विजय पंचांग के अनुसार इस वर्ष अमावस्या तिथि गुरुवार 31 अक्टूबर को दोपहर 2:45 बजे से अगले दिन अर्थात शुक्रवार 1 नवंबर को सायं 4:46 बजे तक है। विद्वानों का एक वर्ग कहता है चूंकि किसी भी तिथि को उदयातिथि के अनुसार माना जाता है, अतः अमावस्या 1 नवंबर को मानी जानी चाहिए। इस अनुसार अमावस्या 1 नवंबर को है, अतः दीपावली भी 1 नवंबर को मनाई जानी चाहिए।
आईए जानते हैं कि धर्म सिंधु ग्रंथ दीपावली त्यौहार के बारे में क्या कहता है?
धर्म सिंधु ग्रंथ के द्वितीय परिच्छेद के अमायं दीपदान लक्ष्मी पूजनादि पैराग्राफ में स्पष्ट रूप से लिखा है कि सूर्यास्त के बाद एक घड़ी से अधिक रात रहने वाली अमावस्या में ही दीप दान और लक्ष्मी पूजन करना चाहिए।
भुवन विजय पंचांग के अनुसार 1 नवंबर को अमावस्या सायं काल 4:46 बजे तक ही है, अतः उस दिन लक्ष्मी पूजन आदि कार्य नहीं किये जा सकते हैं। लाला रामस्वरूप पंचांग, चिंताहरण जंत्री आदि में भी इसी समय के आसपास ही अमावस्या को समाप्त होना बताया है। इससे स्पष्ट है कि शुक्रवार 1 नवंबर को अमावस्या नहीं मनाई जा सकती है।
धर्म सिंधु ग्रंथ के प्रथम परिच्छेद के तिथिनिर्णये सामान्य परिभाषा खंड के तीसरे पैराग्राफ के अनुसार जिस कर्म का जो काल विहत है, उसमें तत्काल व्यापिनी तिथि को लेना चाहिए है। जैसे विनायक आदि के व्रत में मध्याह्न में पूजा का विधान है, अतः मध्याह्न में जो तिथि होगी वहीं ग्राह्य रहेगी ।
दीपावली का त्यौहार रात को मनाया जाता है, अतः जब रात में अमावस्या होगी तभी दीपावली मनाई जाएगी। गुरुवार 31 अक्टूबर की रात में अमावस्या है, अतः 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाई जाएगी। 31 अक्टूबर को सूर्यास्त सायं 5:35 बजे हो रहा है, अतः इसे एक घड़ी आगे अर्थात 5:59 से पूर्ण प्रदोष काल में अर्थात रात्रि 8:11 बजे तक लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त माना जाएगा।
इस प्रकार अब आपको ये स्पष्ट हो गया होगा कि दीपावली इस वर्ष गुरुवार 31 अक्टूबर को मनाना उचित है, मैं दीपावली की तिथि के बारे में भ्रम फैला रहे उन सभी लोगों से निवेदन करना चाहता हूं कि कृपया आप हिंदू धर्म का अहित न करें और सही जानकारी से सभी को अवगत करावें।