भारत सरकार से मान्यता प्राप्त सच की दस्तक पत्रिका द्वारा मुगलसराय वाराणसी में छठवां स्थापना दिवस मनाया गया। कार्यक्रम सिक्किम के गवर्नर लक्ष्मण आचार्य के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय गुजरात के पूर्व कुलपति प्रो. गोपबंधू मिश्रा, अंतर विश्वविद्यालय अध्यापक शिक्षा केंद्र बीएचयू वाराणसी निदेशक प्रो. प्रेमनारायण सिंह, मुगलसराय विधानसभा के विधायक रमेश जायसवाल, महामना मदन मोहन मालवीय हिंदी संस्थान पत्रकार महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी से डॉ नागेंद्र सिंह, राजस्थान से वरिष्ठ साहित्यकार राव शिवराज पाल सिंह शामिल हुए।
कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों से इस पत्रिका के संवाददाताओं ने शामिल होकर अपना अपना विशेष प्रतिनिधित्व निभाया। इसमें जयपुर राजस्थान ब्यूरो चीफ डॉ निशा अग्रवाल, धौलपुर ब्यूरो चीफ सुनील मित्तल, उत्तराखंड ब्यूरो चीफ रोहित कोचगवे, यूपी ब्यूरो चीफ मृदुला श्रीमाली एवं अनेक कलाकार, साहित्यकार शामिल हुए। कार्यक्रम में सिक्किम के गवर्नर लक्ष्मण आचार्य ने डॉ निशा अग्रवाल को सेवा श्री सम्मान से सम्मानित किया। इस दौरान डॉ निशा अग्रवाल ने अपनी पुस्तक “शिक्षा का बदलता स्वरूप” सिक्किम के गवर्नर लक्ष्मण आचार्य को भेंट की।
डॉ निशा अग्रवाल ने सच की दस्तक पत्रिका संपादक ब्रजेश कुमार, समाचार संपादक आकांक्षा सक्सेना (कानपुर), उप संपादक शिव मोहन ( देहरादून), खेल संपादक मनोज कुमार, मीडिया प्रभारी श्री अशोक, विज्ञापन प्रभारी इंतखाब अहमद एवं समस्त टीम का ह्रदय के अंतःस्तल से धन्यवाद एवं अनंत आभार किया।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि आज भले ही डिजिटल युग और सोशल मीडिया का ज़माना आ गया है लेकिन प्रिंट मीडिया की साख और विश्वसनीयता आज भी बरकरार है। टेक्नोलॉजी के ज़माने में भी सुबह की चाय के साथ आज भी अखबार/पत्रिका का बेसब्री से इंतज़ार रहता है। चाहे देश हो या विदेश, सभी जगह प्रिंट मीडिया की अपनी एक अलग ही महत्ता है। जहां सोशल मीडिया/टीवी आदि पर सनसनीखेज खबरें, संदेहात्मक खबरें तीव्रता से प्रसारित होती हैं, वहीं प्रिंट मीडिया केवल ऐसी खबरों को घर घर तक पहुंचाता है, जिनमें वैद्यता, विश्वसनीयता, सत्यता होती है। अगर टेक्नोलॉजी के चलते प्रिंट मीडिया का महत्व ना होता तो जापान में प्रिंट मीडिया का अस्तित्व ही न होता। प्रिंट मीडिया सामाजिक सरोकार, विश्लेषण शक्ति, व्याख्या की शैली, सकारात्मक दृष्टिकोण प्रसारित करने में आज भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।