Saturday, May 4, 2024
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उज्जैन महाकाल मंदिर में शिव नवरात्रि उत्सव शुरू, नौ दिन नौ रूपों में भक्तों को दर्शन देंगे बाबा

भोपाल (हि.स.)। उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिवर्ष की भांति इस साल भी शिव नवरात्रि का उत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। इसकी शुरुआत आज गुरुवार से हो रही है। आठ मार्च को महाशिवरात्रि तक चलने वाले इस महोत्सव के दौरान भगवान महाकाल नौ दिनों तक भक्तों को अलग-अलग रूपों में दर्शन देंगे। यानी शिव-नवरात्रि के नौ दिन तक भगवान का नौ रूपों में आकर्षक शृंगार किया जाएगा।

महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक संदीप कुमार सोनी ने इस संबंध में बताया कि भगवान महाकाल का दरबार निराला है। देश में सभी सभी पर्वों की शुरुआत बाबा महाकाल के आंगन से ही होती है। महाशिवरात्रि उत्सव की धूम भी पूरे नौ दिनों तक दिखाई देती है। यहां महाशिवरात्रि पर फाल्गुन कृष्ण पंचमी से त्रयोदशी तक शिव नवरात्रि उत्सव मनाया जाता है।

उन्होंने बताया कि आज शिव पंचमी के पूजन के साथ शिव नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। सबसे पहले पुजारी कोटितीर्थ कुंड के समीप स्थित श्री कोटेश्वर महाकाल को अभिषेक-पूजन कर हल्दी चढ़ाएंगे। करीब डेढ़ घंटे पूजन के उपरांत सुबह 9:30 बजे से गर्भगृह में भगवान महाकाल की पूजा होगी। पुजारी भगवान महाकाल का पंचामृत अभिषेक कर पूजा-अर्चना करेंगे। इसके बाद 11 ब्राह्मणों द्वारा रुद्रपाठ किया जाएगा। पश्चात दोपहर एक बजे भोग आरती होगी। तीन बजे संध्या पूजा के बाद नौ दिन तक भगवान का अलग-अलग स्वरूपों में विशेष शृंगार किया जाएगा।

उनका कहना यह भी रहा कि शिवनवरात्रि के दौरान भगवान महाकाल का नौ दिन तक नौ रूपों में शृंगार होगा। पहले दिन भगवान महाकाल का चंदन श्रृगार होगा। भगवान को सोला दुपट्टा धारण कराया जाएगा। मुकुट, मुंडमाला और छत्र आदि आभूषण से शृंगार किया जाएगा। दूसरे दिन शेषनाग श्रृगार, तीसरे दिन घटाटोप शृंगार, चौथे दिन छबीना शृंगार, पांचवें दिन होलकर रूप, छठे दिन मनमहेश रूप, सातवें दिन उमा महेश शृंगार, आठवां दिन शिवतांडव शृंगार और नौवें दिन महाशिवरात्रि के मौके पर सप्तधान शृंगार किया जाएगा।

महाकाल मंदिर में प्रतिदिन सुबह 10ः30 बजे भोग आरती तथा शाम पांच बजे संध्या पूजा होती है। शिव नवरात्रि में पूजन का विशेष क्रम होने से भोग आरती दोपहर एक बजे तथा संध्या पूजा दोपहर तीन बजे होगी। शिव नवरात्र के नौ दिन मंदिर के पुजारी उपवास भी रखेंगे। महापर्व संपन्न होने के बाद नौ मार्च को मंदिर समिति पारण का आयोजन करेगी।

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