धन-सम्पदा प्रदायिनी एवं दरिद्रतानाशक तुलसी

ईशान कोण में तुलसी का पौधा लगाने तथा पूजा के स्थान में गंगाजल रखने से उन्नति होती है।

तुलसी को रोज जल चढ़ाने तथा गाय के घी का दीपक जलाने से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है।

जो दरिद्रता मिटाना व सुख-सम्पदा पाना चाहता है, उसे सोमवती अमावस्या को शुद्ध भाव व भक्ति से तुलसी के पौधे की 108 परिक्रमा करनी चाहिए।

श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वृन्दावन्यै स्वाहा‘ इस दशाक्षर मंत्र के द्वारा विधि सहित तुलसी का पूजन करने से मनुष्य को समस्त सिद्धि प्राप्त होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण)

जिस घर में तुलसी का पौधा हो उस घर में दरिद्रता नहीं रहती। जहाँ तुलसी विराजमान होती हैं, वहाँ दुःख, भय और रोग नहीं ठहरते। (पद्म पुराण, उत्तर खण्ड)

तुलसी का पौधा वातावरण में सात्त्विकता पैदा करता है। उसके आगे या निकट पढ़ने, विचारने, दीप जलाने और उसकी परिक्रमा करने से दसों इन्द्रियों के विकार दूर होने में मदद मिलती है एवं मानसिक शांति प्राप्त होती है।

जो मनुष्य भक्तिपूर्वक तुलसी की दूर्वा, अक्षत, पुष्प व नैवेद्य से पूजा करता है, वह विष्णु की पूजा का फल पाता है। (पद्म पुराण)

पद्म पुराण के अनुसार तुलसी दर्शनमात्र से पाप-समुदाय का नाश कर देती है, स्पर्श करने मात्र से शरीर को पवित्र बनाती है और प्रणाम करने से रोगों की निवृत्ति करती है तथा जल से सींचने पर यमराज को भी भय पहुँचाती है।

तुलसी आयु, आरोग्य व पुष्टि देती है अपने घर में तुलसी के पौधे जरूर होने चाहिए। घर में तुलसी का पौधा लगाने से निरोगता रहती है, लक्ष्मीजी और भगवान विष्णु भी प्रसन्न होते हैं।

तुलसी के पौधे में ऑक्सीजन देने का बहुत सामर्थ्य है और उससे साधना में मददरूप तरंगें उत्पन्न होती हैं।

भोजन में तुलसी का पत्ता रखकर भगवान को भोग लगा के वह भोजन करो तो भगवत्प्रसाद वाला भोजन आपके मन में भगवत्प्राप्ति की भूख जगा देगा।

तुलसी आयु, आरोग्य, पुष्टि देती है। दर्शनमात्र से पाप का नाश करती है। स्पर्श करने मात्र से यह शरीर को पवित्र बनाती है और जल देकर प्रणाम करने से रोग निवृत्त करती है तथा नरकों से रक्षा करती है। इसके सेवन से स्मृति व रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ती है।

जिसके गले में तुलसी लकड़ी की माला हो या तुलसी का पौधा निकट हो तो उसे यमदूत नहीं छू सकते। तुलसी माला धारण करने से जीवन में ओज तेज बना रहता है।

वैज्ञानिकों के अनुसार जो तुलसी का सेवन करता है उसका मलेरिया मिट जाता है अथवा होता नहीं है, कैंसर नहीं होता।

शीत ऋतु में आरोग्यवर्धक तुलसी पेय

सामग्री- 5 ग्राम सूखे तुलसी पत्तों का चूर्ण या 25 ग्राम ताजे तुलसी पत्ते, 1.5 ग्राम सोंठ चूर्ण या 5 ग्राम ताजा अदरक, 1.5 ग्राम अजवायन, 0.5 ग्राम काली मिर्च, 1.5 ग्राम हल्दी चूर्ण।

विधि- 1 लीटर पानी में उपरोक्त सभी चीजें अच्छी तरह उबालें। 8 व्यक्तियों के लिए यह पर्याप्त है। यह आरोग्यप्रदायक सात्त्विक पेय सर्दियों में चाय का बेहतर विकल्प है। यह सर्दी-जुकाम एवं बुखार में बहुत लाभकारी है।