होलाष्टक में पहनें पीले और लाल वस्त्र, नित्य स्नान के बाद सूर्य को दें अर्घ्य

श्रुति आरोहन ‘तरुणा’
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फाल्गुन शुक्ल अष्टमी सोमवार 27 फरवरी 2023 से होलाष्टक लगने जा रहे है, यह आठ दिनों का होता है, इस बार नौ दिनों तक है। इसमें सभी मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं, यह समय आध्यात्मिक ऊँचाई प्राप्त करने के दिन है। ईश्वर की जितनी आराधना, भक्ति कर सकतें हैं करें। 

इसका वैज्ञानिक आधार भी है, यह समय एक ऋतु से दूसरी ऋतु में संधि काल का समय भी है, अतः संक्रामक रोग फैलने की संभावना तीव्र होती है। ऐसे समय में जितना हो सके अपने इष्ट की पूजा के साथ ही “महामृत्युजंय मंत्र” का जाप करते रहे। दान, पुण्य का भी फल इन दिनों प्राप्त होता है। 

पीले और लाल वस्त्र अधिक पहने। अवसाद व निराशा में न रहें और यह नौ दिवस ईश्वर की पूर्ण निष्ठा के साथ भक्ति में लगाएं। सात्विक आहार लें। गुनगुने पानी में नींबू व शहद का सेवन करें। नित्य स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य दें और तुलसी के दो पत्तों का सेवन अवश्य करें।