आज तबीयत मेरी नासाज थी,
ना दवा काम आयी,
ना दारु कुछ कर पायी
उन्होंने जब हमारा हाल पूछा,
बिगड़ी तबीयत सुधरने लगी,
दवा, दारू, नर्स सब मुझसे चिढ़ने लगी
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क्यों इतनी जल्दी थी,
एक पल और ठहर जाती
आपका दीदार अभी बाकी था,
कल जो अधूरा रह गया,
वो एहसास अभी बाकी था
-शैली अग्रवाल