सीखना है
तो उन शाखों से
जो नये कोपलों का
करते हैं
पतझड़ के बाद
उनके बहार
आने तक का
इंतजार…
🔸 🔹 🔸
सीखना
उस
बच्चे से
जो भूख से बिलखते
करता है इंतजार
जिसकी माँ खलियानों
में करती हैं मजदूरी
अपने उसी बच्चे के
भविष्य के लिए!
🔹 🔸 🔹
हद देखनी है
तो उस
प्रेमी/प्रेमिका
की
जिनसे कर गये
वायदा
तुम यही रुकना मैं
अभी लौट कर
आता हूँ/आती हूँ
कह कर जाते हैं/या जाती हैं
पर लौट कर
ताउम्र तक नही लौटते,
और वो करते हैं इंतजार…
🔸 🔹 🔸
देखा था
वही था उस दिन
खड़ा भी रहा
लौटना था मुझे
टूट भी रहा था
पर मौन रहकर देख लेता
अहसास था
तुम आओगें
नही आए तो
सदेंश कोई
मुझ को
अदृश्य स्पर्श करा कर
कहेगा
ओह तुम यही हो
बैठो, अब में यही हूँ
बस अलिंगन न करना!
में रुह हूँ
जिसका तुम इंतजार कर रहे हो…
-दिलीप भारद्वाज