एक कर्मठ स्त्री
मालिक का घर सजाती-संवारती है
एक सांवला लड़का
हुज़ूर की मोटर-कार
साफ करता है रगड़-रगड़कर
तेरह-चौदह साल की
दुबली पतली-सी एक लड़की
साहब के बच्चों की करती है रखवाली
पीठ झुका एक बूढ़ा आदमी
आका के पेड़-पौधों को
अपने पसीने से सींचकर
फैलाता है हुलस भरी हरियाली
दो सुरक्षाकर्मी
स्वामी के आलीशान घर की
सुरक्षा में लगे रहते हैं दिन-रात
ऑफिस में बहुत सारे लोग
हाकिम के हुक्म की तामील करने को
हर घड़ी रहते हैं सज
और इस तरह
किसी एक आदमी को
सुखी-सार्थक करने के लिए
अनेक लोगों का जीवन
गुजर जाता है
-जसवीर त्यागी