मानव का ही दुश्मन मानव,
रूप बदल कर बना है दानव,
दुरुपयोग कर तकनीक विज्ञान की,
चहुँओर है मौत का तांडव,
आगमन हुआ है परदेस से देस में,
हत्यारों का वायरस के भेस में,
प्रदूषित वायु का प्रकोप है आया,
हँसती धरती पर कोहरा है छाया!
ग़रीबी, भुखमरी, बाढ़ और तूफ़ाँ,
कभी सुनामी तो कभी है सूखा,
असहनीय हैं असंख्य पीड़ायें,
कम तो नहीं थीं ये भी विपदायें?
हाहाकार करती आज प्रकृति है हारी,
त्राहि-त्राहि है दुनिया सारी,
क्यूँ किया मज़ाक इस धरा के सँग?
क्या खूब निभायी है तुमने यारी?
दुष्परिणामों का कहर बरपाया,
जन-जीवन भी अब डगमगाया,
समय नहीं है अब गंवाने का,
कमर कसने का वक्त है आया!
सावधानी ही सुरक्षा है,
ज़ुबाँ ज़ुबाँ पर यही नारा है,
अहम ज़रूरत आज जागरूकता है,
मात्र स्वच्छता ही प्राथमिकता है!
भय के डर से कोरोना-कोरोना
मत बनाओ अब इसको रोना,
संकट की घड़ी है लंबी बड़ी,
जंग नहीं है फिर भी बड़ी!
सबक इस को यूँ हम सिखाएंगे ,
भीड़-गुटों में ना हम जायेंगे,
पौष्टिक भोजन से प्रतिरोधी क्षमता को बढायेंगे,
नमस्ते करके इस जहर को दूर…!
बहुत दूर …….!
छू मंतर कर-कर के भगायेंगे!
-सीमा चोपड़ा
दाहोद,गुजरात
पिन कोड-389160