मयकशी की नहीं मयखाने घूमकर आये
दिल लिये हाथ में दीवाने घूमकर आये
उनसे हाले दिल बयां करने की चाह लिये
जाने किस किस ठिकाने घूमकर आये
ज़ब्त होता भी नहीं और बयां भी न हुआ
छुपते छुपाते करके बहाने घूमकर आये
ठुकराके तेरी चाहत बहुत हैं पछताये
मेरी नादानियों को बहलाने घूमकर आये
पर्दादारी की पाबंदियों को तोड़के आज
तेरी गलियों में खुद को लुटाने घूमकर आये
– मन्जूषा