पंखुरी- दीप्ति शुक्ला

पंखुरी
नरम मुलायम
पंखुरी
रसभरी, रंगभरी
पंखुरी
जो किरण देख मुस्काये
पंखुरी
जो देख अँधियारा कुम्लाये
पंखुरी
नाजुक पर चुभती नहीं
पंखुरी
काँटों से डरती नहीं
पंखुरी
स्वप्नपरी सी सुन्दर
पंखुरी
तरुवर को बनाती सुन्दर
पंखुरी
बिखरी तो धूल
पंखुरी
खिली तो फूल

-दीप्ति शुक्ला