प्रेम-भक्ति शक्ति दे सुपंथ मातु शारदे
भक्त की पुकार सुन कि शब्द-शब्द तार दे
भानु सा प्रकाश्यमान दीप्यमान चन्द्र सा
भाव को विधान दे कि ज्ञान को आधार दे
कल्पना के पंख दे रुझान, ध्यान लक्ष्य संग
बोधगम्यता प्रदान रोम-रोम तार दे
शब्द सँग गुँथी चले वो कल्पना सरल, सहज
भाव के प्रभाव से तू लेखनी को धार दे
अर्थ दृश्यमान हों उकेर शब्द शौष्ठव
गल्फ दे नवीनता अलंकरण का भार दे
नित्य नव्य नवविधा स्वच्छन्द छंद सन्नहित
बुद्धि का विकास कर के सार्थक विचार दे
आरती करूँ तेरी विनम्र हंसवाहिनी
यूँ कृपा बनी रहे आशीष बार-बार दे
-रकमिश सुल्तानपुरी
सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश