आँख यूँ ही तो बेबस होकर रोती नहीं
बेचैन हो रातों को इक पल सोती नहीं
अजीज अंदाज़ बसर करता है दिल में
किसी की हसरत यूँ ही तो होती नहीं
तितलियाँ बहकती है पुष्प के प्रेम में
खूबसूरती को स्वयं में संजोती नहीं
हौसले रखती हैं आजीवन संग का
फना हो जाने का जुनून खोती नहीं
बेशक रह लो दूर मुझसे मगर जान लो
कि कभी फूल से खुश्बू जुदा होती नहीं
-अनामिका वैश्य आईना
लखनऊ