अखबार नवीसों
लिखना
यह स्थान लिखना
यह वक्त लिखना
यह पहर लिखना
मेरा नाम लिखना
मैंने ही यह
ऐलान किया है
यह भी लिखना
सामने
दिख रहा
गुलाब का फूल
खुशबू वाला है
सुन्दर है
अच्छा है
लेकिन लिखना
इसकी टहनियों में
कांटे भी है
जो अक्सर गड़ते है
दुःख देते है
मैं देख रहा हूँ
स्पर्धा
स्पर्धा नही है
खरगोश और
भेड़िये की दौड़ है
जिन
असहाय वृद्धों को
मनुष्यो के जंगल मे
जीने को छोड़ा है
उन्हें
समाज की छतरी
वक्त की मार से
नही बचा पा रही है
ये असहाय
असमय हो गए
यह भी लिखना
कोई सुविधा भोग रहा है
कोई सुविधा खोज रहा है
हर कोई
भाग रहा है
खोज रहा है
-अमित कुमार मल्ल