शहीद आसमान का वो
दुर्लभ तारा होता है
जिसकी चमक मात्र से सूरज से
अधिक उजियारा होता है
जो रात्रि के अन्धकार में
मन का उजाला करता है
स्वयं नीलकंठ भी उसके
मन्दिर की परिक्रमा करता है
उसकी उर्जा से सूर्य ग्रहण में
रोशनी देता है
चन्द्र ग्रहण में उसकी उर्जा
चन्दा मे चाँदनी लाती है
और अमावस की रात्रि में भी
चन्दा दिखलाती है
ऐसा मनुष्य मृत्यु लोक में
अमर उजाला होता है
शहीद आसमान का वो
दुर्लभ तारा होता है
बादल उसे ढक नहीं पाता
राष्ट्रीय समर्पण का दर्पण दिखलाता
राष्ट्रीय अर्चन हमें सिखलाता
वो हमको पराकाष्ठा दिखलाता
जिसके स्मर्ण मात्र से
पवन मुख मोड देता है
शहीद आसमान का वो
दुर्लभ तारा होता है।
– शार्दुल श्रेष्ठ