दुआएँ दो कि आज
दुआओं की लालची हो रही हूं
दुआएँ दो कि आज
दुआओं के लिए स्वार्थी हो रही हूं
कुछ दुआएँ माँग रही हूँ
बस दुआएँ ही तो है मांगा
माना कि बड़ी कीमती है अनमोल है
मोल नहीं लगा रही
बस कुछ दुआएँ दो आज
कि दुआएँ मांग रही
मेरे लिये नहीं मांग रही
मेरी भावनाओं के लिये
दुआएँ दे दो
कहा है रब से भी
कमजोरों की हार न करना
पर नियती कहां कभी मानी है
देख नियति के खेल
और रो दिये मेरे नैना
मुझ पर रहम कर दो
कुछ दुआएँ उधार दे दो
जब तक जा मेरी रहेगी
उधार तेरा चुका मैं दूँगी
हर एक दुआ के बदले
हज़ार दुआएँ मैं दूँगी
दुआएँ उधार दे दो
दुआएँ माँग रही हूँ
महज़ कविता न समझना
हृदय से बोल रही हूँ
– रश्मि किरण