आई रे आई रे, होली आई रे।
सबके मन को मस्त करे जो,
दिल में प्रीति बसाई ये।।
ग्वाल बाल सब मिलकर मन से,
टोली एक बनाए हैं।
खूब पिलाकर भांग सभी को,
माथे तिलक लगाए हैं।
उड़े गुलाल गली-गली में,
ऋतु बसंत है भाई रे।।
सबके मन को मस्त करे जो,
दिल में प्रीति बसाई रे।।
सुर्ख होंठ हैं लाल सभी के,
मुंह में पान चबाए हैं।
झूम रहे हैं मस्ती में सब,
ढोल मंजीरा लाए हैं।
रंग चलाकर सतखंडे से,
गोरी है मुस्काई रे।।
सबके मन को मस्त करे जो,
दिल में प्रीति बसाई रे।।
घूम-घूम कर गाते फागें,
ढोलक खूब बजाए हैं।
मिलते गले सभी जन खुलकर,
वैर भाव विसराए हैं।
मांग-मांग कर खाते गुजियां,
साथ बजे शहनाई रे।।
सबके मन को मस्त करे जो,
दिल में प्रीति बसाई रे
-राम सेवक वर्मा
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विवेकानंद नगर, पुखरायां,
कानपुर देहात, उत्तरप्रदेश