सीमा शर्मा ‘तमन्ना’
नोएडा, उत्तर प्रदेश
कहने को वह आदमी उस आदमी की फितरत न पूछो हुज़ूर
कहां आदमी होकर भी सिर्फ एक आदमी ही रह गया यह आदमी
कहीं सिर पर कच्ची छतें, तो कहीं पर पक्की
ईंटों के इन गगनचुंबी बहुमंजिला मकानों में
सिर्फ पटकर ही रह गया यह आदमी
निकलकर हरे भरे उन खेतों-खलिहानों से, गांवों से,
कहीं बस्तियों तो कहीं शहरों के घुटनभरे आलीशान शीशे के मकानों में
जाने क्यूं सिमट कर रह गया यह आदमी
कहीं गूंजती हैं जब घंटियों की आवाजों से दसों दिशाएं
और आज़ानों के शोर में नहाती हैं वो दरो-दीवारें
तो मानों मन्दिर-मस्जिद, गिरजाघर और गुरुद्वारे में ही जैसे
सिर्फ बंटकर रह गया है आज यह आदमी
कहते हैं हम भारतवासी और गर्व हमें इस बात पर
फिर क्यूं आख़िर जात-पात के पाटों में फंसकर रह गया यह आदमी
न पहचाना अपनी आदमीयत को इसने अभी कमियां बहुत हैं बाकी
क्योंकि सिर्फ यूपी, बिहार, उत्तराखंड, राजस्थान और
बाकी उन शेष बचे राज्यों का ही होकर रह गया है यह आदमी
यूं तो बंट गई ज़मीनें भी और घर भी घर सा कहां रहा
अपनी ही पहचान को खुद में सिमटकर रह गया आज यह आदमी