आज भी तेरे चेहरे पे: सुरेंद्र सैनी

आज भी तेरे चेहरे पे चमक है
नूर बचा जवानी का नमक है

शहर भर में तेरे चाहने वाले
दिवानों के लिए जैसे सबक है

जो देखें तुझे चुभे है आंख में
बेकाबू करे जो कोई रड़क है

तेरे रूप का कोई सानी नहीं
तू रेगिस्तान में ठंडी सड़क है

तेरे श्वेत दन्त मोती से चमकें
तेरी आवाज़ में मीठी धमक है

‘उड़ता’ किस बात की तमक है
बेबात की लफ़्ज़ों में सनक है

सुरेंद्र सैनी बवानीवाल ‘उड़ता’
झज्जर, हरियाणा- 124103
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