Thursday, January 16, 2025

भावों का वनवास: रूची शाही

रूची शाही

मन में उठते भावों को
बोलो कैसे वनवास मैं दूं
किससे कहूं सारी बातें
किसको अपना एहसास मैं दूं

इतनी बड़ी बड़ी हैं दीवारें
उस पार उतरना मुश्किल है
बहुत कुछ कहना है तुमसे
पर शब्दों में ढलना मुश्किल है
सब मान रखा है मैंने पर
खुद को कैसे झूठी आस मैं दूं

किससे कहूं सारी बातें
किसको अपना एहसास मैं दूं

अब आऊं जो कुछ भी कहने
डांट डपट कर मुझको भगा देना
मत सुनना मेरी कुछ भी
बाहर से ही रास्ता दिखा देना
ठेस लगेगी तब मन को
खुद को कुछ तो आभास मैं दूं

किससे कहूं सारी बातें
किसको अपना एहसास मैं दूं

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