सीमा संगसार
वर्जना एक ऐसा शब्द है, जो सदैव स्त्रियों के शब्दकोश में ढूंढ़ा गया। मानो इस शब्द की उत्पत्ति स्त्रियों के लिए ही की गई हो। स्त्रियों का अस्तित्व ही इन वर्जनाओं से जुड़ा हुआ है। पुरुषों ने सदैव वर्जनाओं को स्त्रियों की पीठ पर ढोया है। जब भी स्त्रियां सचेत हुई पुरुषों ने एक नई वर्जनाओं को जन्म दिया।
स्त्रियों को मानसिक व शारीरीक रुप से गुलाम बनाए जाने की तथाकथित परंपराओं व बेड़ियों के खिलाफ जब-जब स्त्रियाँ विद्रोह करती हैं, समाज उन्हें अपशब्द कहता है, न जाने कितने लांछनों से गुजरती हुई ये स्त्रियाँ तब तक कोई मुकाम हासिल नहीं करती, जब तक कि कोई स्त्री किसी वर्जनाओं को नहीं तोड़ती।
इसी पुरुष प्रधान समाज में अखिलेश्वर पांडेय ने एक बीड़ा उठाया है ऐसी दस चर्चित युवा कवयित्रियों की कविताओं का संकलन व संपादन की। इन कवयित्रियों ने कहीं न कहीं अपने जीवन में और अपनी रचननात्मक में उन वर्जनाओं को तोड़ा है, जो हमारे समाज को मान्य नहीं।
इस क्रम में पहली कवयित्री लवली गोस्वामी हैं, जिनकी दस रचनाओं के माध्यम से संपादक ने उनकी रचनात्मक क्रियाशीलता एवं उनकी जीजिविषा को रेखांकित किया है।
लवली गोस्वामी अभी हाल में ही अपनी कविता से संपादकों और समीक्षकों का ध्यान आकृष्ट करती हैं। अनूठे बिंबों से वह अपनी कविता के जरिए एक अलग संसार रचती हैं। इनकी भाषा कोमल होते हुए भी कई बार सवाल खड़े करती हैं। लवली गोस्वामी की एक खास विशेषता यह है कि वह उन सवालों के जबाब भी खुद ही देती हैं…
मैने देखा कुछ बेहद तार्किक लोग
कवियों को पीट-पीट कर मारना चाहते थे
चुप रहना मेरी मजबूरी थी, न मेरा फैसला
मुझे कम शब्दों में बात करने का हुनर न आया…
कवयित्री की अभिरुचि उनका हुनर उनके उन सभी क्रियाकलापों में है जो उनकी एक अलग पहचान देती है।
हरापन एक आदत है, बदरंग होकर गिर जाना, एक फैसला
कुछ इच्छाओं को हमने कभी नहीं पहना
वो बार्डरोब में पड़ी-पड़ी बदरंग हो गयीं…
अपने बदरंग जीवन में प्रेम को तलाशती हुई कवयित्री ने प्रेम कविता को एक शौक न मानकर अपने जीवन की यात्रा, पड़ाव और उनसे जुड़े सभी दस्तावेजों के नाम करती है
प्रेम की एक कविता ताल्लुक के
कई सालों का दस्तावेज है…
कवयित्री के लिए प्रेम कोई सामान्य दिनचर्या नहीं है, जहाँ वे रोज अपने पति या प्रेमी के साथ बिस्तर पर होती हैं
सोने की क्रिया
हमेशा मेरे लिए एक प्रकार की निरीहता रही
पराजय रही
जागना एक सक्रियता
एक आरोहण..
सोना कतई सामान्य प्रक्रिया भर नहीं है
एक चुनी हुई आदत है
उससे भी बढ़ कर एक सधा हुआ अभ्यास है…
स्त्रियोचित संस्कार जो स्त्रियों के भीतर बचपन से ही रोप दिया जाता है, उन संस्कारों से खुद को अलग करना सबसे बड़ी चुनौती होती है।
मुझे पत्थर होने की शिक्षा मिली थी
तुम्हें प्यार करने के लिए मुझे हवा होना पड़ा
मैने जाना, जुड़े रहना सही तरीका है
लेकिन समस्या से नहीं समाधान से…
लवली गोस्वामी की प्रेम कविताएं भी इतनी यथार्थपरक हैं कि वे पाठकों से संवाद करती हैं। रुमानी और फैंटेसिज़्म से अलग वे सीधे-सादे शब्दों में अपनी बात कहना जानती हैं
हम इतने भावुक थे कि पढ़ सकते थे
एक दूसरे के चेहरे पर किसी बीते प्रेम का दुख…