नंदिता तनुजा
मौन की बात में
कई एहसास ज़ब्त होते हैं…
कोई ग़र समझें इतना
एहसासों में स्पंदन होते हैं…
एक-एक नब्ज़ धड़कनों से
एहसासों की फरियाद करते हैं….
मन-मस्तिष्क के उलझें सवाल
एहसासों से बवाल करते हैं…
महकते, बहकते और तड़पते है..
एहसास हर हाल में जीकर प्यार करते है
राब्ता ईश है, राब्ता इश्क है
एहसास से लबालब मन वफ़ा जीते है…
एक तस्वीर इन आँखों की मंज़िल
एहसास भी बेहिचक दीदार करते है…
ना फ़ैसले ना फासलों की चुभन
एहसास निडर इंतज़ार करते है…
कि एहसासों की धमक पर..
बस एहसास ही उम्र भर राज करते है…!