हे संविधान के अधिनायक
गणतंत्र तुम्हारा अभिनंदन।
जय हो जय हो भारतमाता,
गर्व से तिरंगा लहराता,
नित पुष्पित और पल्लवित हो
जनगणमन का सुंदर नंदन।
आपस में हो बंधुत्व भाव,
पनपे न कभी ईर्ष्या दुराव,
अपने मस्तक पर तिलक करें
भारत की माटी है चंदन।
बन जाए देश आत्मनिर्भर,
सुख शांति के फूटें निर्झर,
तकनीक स्वदेशी अपनाएँ
दौड़ें विकास के नव स्यंदन।
गणतंत्र तुम्हारा अभिनंदन।
गौरीशंकर वैश्य विनम्र
117 आदिलनगर, विकासनगर,
लखनऊ, 226022
दूरभाष 09956087585