नारी दिवस
वर्ष में एक दिन
क्यों नहीं नित्य
कर्मठ नारी
घर की उजियारी
कभी न हारी
आज की नारी
सब पर है भारी
नहीं बेचारी
मंगलगान
नर-नारी समान
देना है मान
घर-दफ्तर
समान भागीदारी
धन्य है नारी
राष्ट्र की धुरी
समाज का आधार
नारी संसार
न पनघट
न साड़ी न घूंघट
दूर झंझट
सशक्त नारी
जागरूक समाज
वांछित आज
सोचो विचारो
भ्रूण कन्या न मारो
देश सँवारो
जन्मदायिनी
माँ की ममता-शक्ति
अभिनंदनीय
गौरीशंकर वैश्य विनम्र
117 आदिलनगर, विकासनगर,
लखनऊ, उत्तर प्रदेश- 226022
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