वाह रे हमारा आदरणीय समाज,
यहां गलत बेटियों के साथ हो,
पर उंगली सरकार पर उठे।
समाज सरे आम बेटी को अपमानित करे,
पर गलत हमारा कानून कहलाए।
बेटियों को इज्ज़त समाज नहीं देता,
पर सम्मान की उम्मीद,
सरकार से ही की जाए।
बेटियो को सशक्त समाज नहीं बनने देता,
पर सशक्तिकरण की ज़िममेदारी,
सरकार ही उठाए।
बेटियों को भरे समाज में,
वस्त्रहीन है किया जाता,
पर शर्म की उम्मीद
सिर्फ सरकार से ही करे।
क्यों हर गलत काम के लिए समाज को नहीं,
सरकार को ही जिममेदार ठहराया जाए?
जबकि
हमारी बेटियों को
समाज के गलत मानसिकता वाले
दीमक ही खाते जाएं।
पूजा कुमारी
बीए छात्रा
पीजीजीसीजी-42
चंडीगढ़