हर शाख पे फूल खिले जरूरी तो नहीं
हर फूल में महक हो जरूरी तो नहीं
धरा पर सर्वत्र चमन हो जरूरी तो नहीं
हर नग हिमालय हो जरूरी तो नहीं
हर सरिता मंदाकिनी हो जरूरी तो नहीं
हर ग्रंथ आर्ष ग्रंथ हो जरूरी तो नहीं
हर पाषाण मूर्ति बने जरूरी तो नहीं
हर मूर्ति मंदिर में बिराजे जरूरी तो नहीं
हर चौपाया दुधारू हो जरूरी तो नहीं
हर बिंहंग गगन में उड़े जरूरी तो नहीं
हर तारा सूर्य हो जरूरी तो नहीं
हर रात चांदनी हो जरूरी तो नहीं
हर बूंटी संजीवनी हो जरूरी तो नहीं
हर शब्द मंत्र हो जरूरी तो नहीं
हर देव त्रिदेव हो जरूरी तो नहीं
हर बूंद मोती बने जरूरी तो नहीं
हर दिन सुख हो जरूरी तो नहीं
सर्वत्र मानव का वर्चस्व हो जरूरी तो नहीं
सृष्टि रचियता की सृष्टि में
गुण रहित कुछ भी नहीं
अपनी अहमियत व स्थान रखते यहाँ
सभी सर्वत्र मानव की ही जीत
हो जरूरी तो नही सब कुछ
मानव का ही हो जरूरी तो नहीं
गरिमा राकेश गौतम
महावीर नगर, कोटा,
राजस्थान