प्रियंका सिंह
पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज,
सेक्टर-11, चण्डीगढ
कठपुतली हूँ खुदा तेरे हाथों की,
जिस राह पर चलाओगे,
उस राह पर चलना है
यों तो जान है मुझे मैं,
फिर भी बेजान हूँ
बाहर से खुश हूँ,
रूह से परेशान हूँ
ख्वाब देखने की चाहत मुझे भी है,
पर नसीब के खेल से परेशान हूँ मैं
ख़ौफ है दिल में दुनिया का,
मैं तो तेरी दुनिया में तिनके के समान हूँ
ख़ुश होने की वजह नहीं,
दुनिया से नहीं मैं तो खुद से परेशान हूँ
पता है मुझे मेरी हकीक़त,
फिर भी लगता है खुद से ही अनजान हूँ मैं
समझ सब कुछ आता है,
वक़्त मुझे हकीक़त का आईना दिखाता है
फिर भी नासमझ बच्चे के समान हूँ मैं,
जिंदगी दी खुदा मैं तेरी शुक्रगुज़ार हूँ