आया है नवरात्रि का त्योहार।
नवरात्रि में माँ का सजेगा दरबार।
गली-गली गूँजेंगे भजन कीर्तन,
माँ अंबे की होगी जय जयकार।।
आयी है होकर शेरों पर सवार।
माता ने किये है सोलह श्रृंगार।
लगे सौम्य सुंदर मुखड़ा माँ का,
दिखता आँखों में असीम प्यार।।
माँ ने करने को भक्तों का उद्धार।
नवरात्रि में लिये थे नौ अवतार।
पाप जब बढ़ गया था दुष्टों का,
किया था माँ ने असुरों का संहार।।
मेरा हृदय है मइया आपका द्वार।
आपकी कृपा से होगा बेड़ा पार।
सुख, समृद्ध, स्वस्थ हो प्रियजन,
सुनो इतनी अरज करो उपकार।।
जगदम्बे अब फिर से लो अवतार।
या भर दो बेटियों में शक्ति अपार।
डाले जो कोई उनपर गन्दी नजर,
चंडी बनके कर दे दुष्टों का संहार।।
सोनल ओमर
कानपुर, उत्तर प्रदेश