परिंदे प्यार के,
संदेशा लाएंगे।
जहां जाएंगे,
वहां प्रेम बरसाएंगे।
ना मजहब की रोक,
ना जात का डर।
ना पाने की चाह,
ना खोने का गम।
ना समुद्र का भय,
ना क्षितिज की रोक।
दिल चाहे जहां,
उड़ जाए वहां।
साथ बुलंद इरादों के,
संदेशा लाएंगे।
जहां जाएंगे,
वहां प्रेम बसाएंगे।
नेहा देवी
बीए छात्रा
पीजीसीजीसी, सेक्टर-42
चंडीगढ़