पिता एक उम्मीद है, एक आस है
परिवार की हिम्मत और अटूट विश्वास है
बाहर से सख्त और अंदर से नर्म,
नारियल की भांति उनका मिज़ाज है
पिता मुश्किल के वक्त में,
हौसले की दीवार है
कठिनाइयों से लड़ने वाली,
दो-धारी तलवार है
अपने बच्चों के साथ वह
बच्चे बन जाते हैं
और बड़ा होने पर उनको,
सही और गलत की पहचान कराते हैं
पिता जिम्मेदारियों से लदी गाड़ी के सारथी है
सबको बराबर का हक दिलाने वाले महारथी हैं
सपनों को पूरा करने में लगने वाली जान हैं
इन्ही से तो माँ और बच्चों की पहचान हैं
पिता ज़मीर है, पिता ज़ागीर है
जिनके साथ ये है वह सबसे खुशनसीब है
कहने को तो सब ऊपर वाला देता है,
पर ख़ुदा का ही एक रूप पिता का शरीर है
पूजा कुमारी