ना आदि ना अंत है उसका
वह सबका ना इसका उसका
वही शुन्य है वही इकाई
जिसके भीतर बसा शिवाय।।
ॐ नमः शिवाय
आँख मूंदकर देख रहे हैं
साथ समय के खेल रहे हैं
महादेव है एकाकायी
सबके भीतर बसा शिवाय।।
राम भी उनका, रावण भी उनका
जीवन उनका, मरण भी उनका
श्याम भी उनका, कंस भी उनका
शमशानों में वास है उनका।।
तांडव है और ध्यान भी वो हैं
अज्ञानी का ज्ञान भी वो हैं
जन्म मृत्यु है उनके अधीन
काल नवाये उनको शीश।।
उनको काँटा लगे ना कंकर
रण में रूद्र घरों में शंकर
वही शुन्य हैं वही इकाई
जिसके भीतर बसा शिवाय।।
पूजा