दीपों का त्यौहार दिवाली,
घर आंगन में सजी रंगोली।
मिलने को आए हमजोली,
खुशियों से भर गई है झोली।
रामचन्द्र लौट आए अयोध्या,
भाई लक्ष्मण, साथ में सिया।
आज दीपों से सजी है संध्या,
गांव गली में दीया ही दीया।
मां लक्ष्मी की करो पूजन,
धन धान्य से भरेगा दामन।
उजियारा हर घर और आंगन,
मां कमला की चरण है पावन।
दीपों से जगमगाया है संसार,
गले मिलकर दो उपहार।
फूलों से सजा घर और द्वार,
एक दूजे को बांटो प्यार।
सबके मन को हर्षाना है,
प्यार ही प्यार बरसाना है।
एक दूजे को मिठाई खिलाकर,
भाईचारा सिखलाना है।
प्रकाशमय है धरती गगन,
पटाखों से है लोग मगन।
हर किसी का हर लो मन,
बातें हो बस मन भावन।
जयलाल कलेत
रायगढ़, छत्तीसगढ़